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Modern History lectures & MCQ's in Hindi: IAS & NET
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Modern History Lectures & MCQ's in English : All Exams
Modern History Lectures & MCQ's in Hindi: All Exams
Mp dEiuh
- Hkkjr esa nwljh O;kikfjd dEiuh gkWyS.M@uhnjyS.M ls vk;hA ftls osfjaxns vksLr baMls dEiuht dgk tkrk gSA यह एक चार्टर कंपनी थी ( अनेक निवेशकों से सम्बंधित जिन्हें मालिकाना हक भी होता है और सरकार द्वारा कानूनी दर्जा प्राप्त ) tks 1602 esa LFkkfir gqbZ FkhA कंपनी का मुख्यालय एम्स्टर्डम में था | bl dEiuh dk mn~ns”; Hkh O;kikj okf.kT; ds lkFk&lkFk jktuhfrd o lSfud xfrfof/k;ksa ls izsfjr FkkA यह कंपनी भारतीय राज्यों के साथ युद्ध कर सकती थी एवं अपनी मुद्रा व्यवस्था भी लागू कर सकती थी | पुर्तगाली कंपनी के समुद्र पर एकाधिकार(नीले पानी की नीति ) को समाप्त करने हेतु डच कंपनी को सैन्य अधिकार दिए गए |
- 1595 में पहला डच व्यापारी कार्नेलिस हाउ टमेन भारत आया परन्तु पुर्तगालियों के दुर्व्यवहार के कारण इंडोनेशिया के बेंटम पहुच गया | जहाँ वह लगभग 8 माह रहा | इसकी रिपोर्ट के आधार पर ही डच व्यापारिओं ने राजनैतिक एवं सैन्य अधिकारों की मांग की और कंपनी का गठन हुआ |
1603 में कई डच व्यापारी बेंटम आये और डच कंपनी का पहला व्यापारिक केंद्र बेंटम( जावा द्वीप के पश्चिम में ) में स्थापित किया गया |
1611 में दूसरी व्यापारिक बस्ती जकार्ता में बनायीं गयी , 1619 में जकार्ता का नाम बटाविया रखा गया | गेर्मानि की जनजाति बटावी पहले से ही जकार्ता में व्यापार कर रही थी , जिन्होंने डच कंपनी को वहां से भगा दिया | 1945 में पुनः जकार्ता नाम दिया गया |इसके पश्चात कंपनी नें भारत में प्रवेश का निर्णय लिया |पश्चिमी तटपर पराजय का सामना करने के बाद पूर्वी तट से प्रवेश किया |
- डच कंपनी का गवर्नर जनरल (शासक और निरीक्षक दोनों ) होता था , प्रथम गवर्नर जनरल पीटर बोथ ( 1610 – 1614) थे | भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट के व्यापारिक केन्द्रों के नियंत्रण के लिए राजधानी अम्बोयाना बनायीं गयी , 1619 के बाद जकार्ता या बोटविया राजधानी थी | भारत के आतंरिक क्षेत्रों के नियंत्रण के लिए पुलिकट ( 1658 तक ) तथा नेगापत्त्नम (1658 के बाद ) को राजधानी बनाया गया |
- डच कंपनी ने भारत में सोने के सिक्के पैगोडा नाम से जारी किये |चिनसुरा में लम्बे समय तक प्रचलित रहे | डच कंपनी ने किलेबंद बस्तियां बनवाई | iqyhdV esa bUgksaus xkSfYVª;k nqxZ vkSj fp~ulqjk esa xqLrkoy nqxZ dk fuekZ.k fd;kA
- डच कंपनी का भारत में व्यापारिक विस्तार – Mp dEiuh us भारत में viuk igyk O;kikfjd dsUnz eNyhiÍue ( कृष्णानगर जिला ,vkU/kz izns”k) esa 1605 esa LFkkfir dh vkSj blds i'pkr~ dEiuh us iwohZ rV ij iqyhdV] बालासोर में ट्रेडिंग पोस्ट बनाये | fpulqjk ¼ हुगली,caxky½ से कंपनी ने नील की खेती को बढावा दिया , यहाँ 1653 से कार्य आरंभ हुआ | भारतीय किसानो से बलपूर्वक नील की खेती करवायी गयी जिससे उनका शोषण हुआ | अफीम और शोरा ( गोला बारूद में प्रयोग ) की खेती भी की गयी जिसमें पुर्तगाली कंपनी का योगदान कम था जिससे डच कंपनी की स्थिति मजबूत हो गयी और उसने पुर्तगाली कंपनी से युद्ध के बारे में सोचा if”peh rV ij mUgksaus dksphu esa O;kikfjd dsUnz cuk;k vkSj blds vykok mUgksaus f”kyku ¼Jhyadk½ eyDdk ¼eysf”k;k½] tdkrkZ ¼eVkfo;k½ vkfn {ks=ksa esa O;kikfjd dsUnz cuk;k और निवेश किया A
- Mp dEiuh dk O;kikfjd {ks= lwrh oL= ¼dikl½] uhy] lkSjk] vQhe] xkatk vkfn {ks=ksa esa foLr`r FkkA
- डच और पुर्तगालियो के मध्य संघर्ष – 1623 में “अम्बोयाना हत्याकांड “ की घटना हुई , जिसमें डच लोगों ने पुर्तगालियो की बड़े स्तर पर हत्या की | पहले “अम्बोयना” ( जावा का द्वीप ) पुर्तगाली , चीनी एवं जापान के व्यापारियो का स्थान था , जहाँ डच कंपनी द्वारा अम्बोयना हत्याकांड किया गया | यह हत्याकांड पुर्तगाली कंपनी के पतन का कारण भी था |
- ईस्ट इंडिया कंपनी की सहायता से 1641 में डच कंपनी ने मलक्का एवं बेंटम में भी पुर्तगालियो कंपनी के व्यापारियों को पराजित किया |
- मलूक ( इंडोनेशिया का प्रांत,मसालों के लिए प्रसिद्द ) तथा सीलोन ( श्रीलंका ,1651) को भी डच कंपनी ने श्रीलंका से छीन लिया |
- Mp dEiuh us if”peh rV ( सूरत, केरल ) ij iqrZxkfy;kas ds lkFk O;kikfjd ykHk ds fy, la?k’kZ fd;k vkSj bl la?k’kZ esa Mp dEiuh dh fot; gqbZA bl izdkj 17oha “krkCnh rd Hkkjr esa Mp dEiuh izeq[k नौसैनिक एवं आर्थिक “kfDr cuhA fdUrq 18oha lnh esa Mp dEiuh dk iru vkjEHk gqvk , यह एक सरकारी कंपनी थी जिस पर हॉलैंड की सरकार का नियंत्रण बढता गया vkSj muds LFkku ij vaxzsth dEiuh izeq[k “kfDr cuh जो एक स्वतंत्र व्यापारिक कंपनी थी|
- डच कंपनी और ईस्ट इंडिया कंपनी के काफी युद्ध हुए क्यों कि डच कंपनी महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थानों में केन्द्रित थी | सूरत को लेकर युद्ध हुआ जब 1800 में डच ने सूरत को छोड़ दिया | कोच्ची को 1814 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने प्राप्त किया , इस प्रकार डच कंपनी ने पश्चिमी तट खाली कर दिया | bZLV bafM;k daiuh us Mpksa dks 1759 ds “csnjk ds ;q)” eas ijkftr fd;k, vkSj bl ;q) esa caxky ds dBiqryh uokc ehj tkQj us Mpksa dh lgk;rk dh FkhA केवल चिनसुरा और मसूलिपत्तनम, केवल दो केंद्र ही डच कंपनी के पास रहे , वे भी ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन थे |
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