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Modern Indian History (English)
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- iqrZxkyh dEiuh dh LFkkiuk 1498bZ- esa gqvk vkSj bls ,Lrknks-n-bafM;k (ऑफिसियल नाम पुर्तगाली भाषा में ) uke fn;k x;kA bl daiuh dks vkjEHk esa gh iqrZxky ljdkj us jktuhfrd vkSj lSfud O;oLFkk Hkh iznku dhA
- यह कंपनी पुर्तगाल के व्यापारियों द्वारा संयुक्त रूप से बनायीं गयी | इसका मुख्यालय लिस्बन में था | पुर्तगाली शासक “इमैनुअल” ने कंपनी को भारत में व्यापार करने का चार्टर (कानूनी अधिकार ) प्रदान किया |चार्टर को अनुमति प्रदान करने के दो उद्देश्य थे –
* ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार - उनके अनुसार हिन्दू व मुस्लिम धर्म पतन की स्थिति में था
* व्यापार वाणिज्य – प्राचीन काल में भी जलीय मार्ग से भारत के साथ मसालों(कालीमिर्च / यवनप्रिया) का व्यापार होता था |
- पुर्तगाली कंपनी को भारत में राजनैतिक अधिकार प्रदान नहीं किये गए थे परन्तु भारत आगमन के 150 वर्षों बाद पुर्तगाली कंपनी नें चार्टर का उल्लंघन करते हुए दमन द्वीप,गोवा एवं बम्बई जैसे क्षेत्रों में राजनैतिक रूप से शासन किया |
- iqrZxkyh dEiuh us loZizFke futh :i esa dqN ;kf=;ksa dks Hkkjr Hkstk ftlls Hkkjr ds lkFk O;kikj dh laHkkoukvkas dk v/;;u fd;k tk ldsA vkSj blh Øe eas okLdksfMxkek तीन बार भारत आया - 1498 esa okLdksfMxkek loZizFke दक्षिणी अटलांटिक समुद्री मार्ग से Hkkjr vk;kA og vjc lkxj esa xqtjkr ds मालिन्दी rV ij igqapk ogka vCnqy efud uked O;fDr ds ekxZn”kZu ij मई, 1498 में dsjy ds dkyhdV (वर्तमान dksthdksM जिला) igqapk] tgka मूर (Moors- अरबी मुस्लिम व्यापारी ) वेनिस (इटली ) के व्यापारियों नेडिगामा का विरोध किया क्योंकि वे अपना व्यापारिक प्रतिद्वंदी नहीं चाहते थे | कालीकट का स्थानीय शासक मनुविक्रम वर्मा था जिसकी दो उपाधियाँ थी – जमोरिन (मलयाली ) तथा समुदिरी ( हिंदी ) जिनका अर्थ समुद्र का देवता / स्वामी होता है | जमोरिन व डिगामा के मध्य बैठक हुई तथा डिगामा ने उसे उपहार दिए , जिससे वह प्रसन्न हुआ | ;gka ls okLdksfMxkek us dkyh fepZ o dqN elkys izkIr fd;s rFkk उन्हें पुर्तगाल में बेचकर 60 गुना लाभ प्राप्त किया | कालीमिर्च का प्रयोग माँसाहारी भोजन की उपयोगिता और गुणवत्ता बढानें में किया जाता है | blds ckn okLdksMhxkek iqu% 1502 esa Hkkjr vk;k तथा व्यापार वाणिज्य की संभावनाओ को समझा | तीसरी बार 1524 में उसे गवर्नर बनाया गया |
- वास्कोडिगामा ने अफ्रीका के दक्षिणताम बिंदु को “ केप ऑफ़ गुड होप” नाम दिया | जिसका अर्थ उसने संभावनाओं वाला अच्छा स्थान बताया | डिगामा से पहले “बर्थोलोग्यु डियास” नाम का पुर्तगाली भी केप ऑफ़ गुड होप आया था परन्तु उसने इस स्थान को “cape of stroms” (Thunder Place) कहा |
- nwljk iqrZxkyh ;k=h isMªks vYczst dSczky 1500bZ- esa Hkkjr vk;k उसने जमोरिन से भेट कर के भारत में व्यापारिक केंद्र स्थापित करने की अनुमति मांगी | जमोरिन ने उन्हें कालीकट में रहने और व्यापार करने की अनुमति प्रदान की | blds vkxeu ds i'pkr~ gh fofHkUu iqrZxkyh ;k=h Hkkjr vk;sA rc 1503 esa dksfPp ;k dksphu {ks= esa izFke O;kikfjd dsUnz LFkkfir fd;k x;kA अरब मुस्लिम व्यापारी मूर और इटली के व्यापारियों ने पुनः व्यापार में बाधा डाली तब कंपनी ने निर्णय लिया कि व्यापारिक केंद्र प्रबंधन हेतु गवर्नर और वायसराय की नियुक्ति आवश्यक है |गवर्नर को कार्यकारी और विधायी शक्तियां दी गयी तथा वायसराय विदेशी मामलों का प्रतिनिधि(एजेंट ) होता है | कुछ ही गवर्नर को वायसराय की उपाधि दी गयी जिनमे अल्मीडा और वास्कोडिगामा( 1524) शामिल थे |
- blds ckn dEiuh us O;ofLFkr :i esa Ýkalhlh Mh&vYehMk dks izFke ok;ljk; ds :i esa ¼1505&1509½ गोवा HkstkA 1505 में कन्नोर में दूसरा व्यापारिक केंद्र बनाया गया |blus vjc lkxj esa iqrZxkyh dEiuh dk ,dkf/kdkj LFkkfir fd;k rFkk ogka uhys ikuh dh uhfr vkjEHk dh] tks nks :iksa esa fØ;kfUor gksrh FkhA igyk& vjc lkxj ij iqrZxkfy;ksa dk fujis{k vf/kdkj gSA blfy, ogka ls xqtjuk@O;kikj okf.kT; djuk mudh vuqefr ds fcuk lEHko ugha gSA blfy, mUgksaus dkVZ~t (Permit) O;oLFkk vkjEHk dhA ftlds }kjk gh dksbZ fons”kh ;k Hkkjrh; O;kikjh ;gka ls vkxeu dj ldrk FkkA iqrZxkyh dEiuh us eqxy lezkV vdcj ij Hkh ijfeV iz.kkyh@dkVZ~t iz.kkyh ds fy, ck/; fd;k क्योंकि मुगलों की नौसेना कमजोर थी अतः उसने भी पुर्तगालियो की शर्तें स्वीकार्य कर ली | nwljk& vkjesMk&dkfQyk iz.kkyh& blds }kjk dksbZ Hkh O;fDr tc vjc lkxj esa uko ;k NksVs tgkt }kjk ;k=k djrk Fkk rc iqrZxkyh dEiuh mls lqj{kk iznku djrh FkhA अल्मीडा नें मालाबार तट ( द्वीपों की श्रंखला के कारण मालाबार नाम पड़ा ) पर किले (Fort) भी बनवाए – सैंट एंजेल(कन्नोर), सैंट इमैनुअल (कोचीन) , किव्लौन, अन्जेदिवा |
पूर्वी तट के ट्रेडिंग पोस्ट - अल्मीडा ने कुछ बंदरगाह बनाने का प्रयास किया – आर्मुज़ बंदरगाह , अदन बंदरगाह
अदन बंदरगाह को मिस्र शासक ने छhन लिया |
- vyQkalks n vYcqddZ ¼1509 ls 1515 rd½& vyehMk ds i'pkr~ nwljk ok;ljk; vyQklks n vYcqddZ cukA इसे भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक भी कहा जाता है क्योंकि उसने अरबी मुस्लिम व्यापारियों को विभिन्न युद्धों में पराजित किया | mlus nknjk uxj gosyh] xksok] neu ,oa nho tSls {ks=ksa esa iqrZxkfy;ksa dks clkus dk lq>ko fn;k rFkk mlus कूटनीति के तहत iqrZxkfy;ksa dks Hkkjrh; efgykvksa ds lkFk fookg djus dk vkns”k fn;kA विजयनगर के शासकों की सहायता से mlus chtkiqj ds “kkld ;qlqQ vkfny “kkg ls 1510 esa xksok ds ,d canjxkg dks izkIr fd;kA
- पश्चिमी तट विस्तार – सर्वप्रथम केरल के कालीकट (वर्तमान dksthdksM जिला) से व्यापार आरम्भ किया | अल्मीडा नें मालाबार तट ( द्वीपों की श्रंखला के कारण मालाबार नाम पड़ा ) पर किले (Fort) भी बनवाए – सैंट एंजेल(कन्नोर), सैंट इमैनुअल (कोचीन) , किव्लौन, अन्जेदिवा |
पूर्वी तट के ट्रेडिंग पोस्ट - अल्मीडा ने कुछ बंदरगाह बनाने का प्रयास किया – आर्मुज़ बंदरगाह , अदन बंदरगाह
अदन बंदरगाह को मिस्र शासक ने छhन लिया |
1530-1961 में गोवा को भारत में पुर्तगाली राज्य एवं व्यापारिक केन्द्रों की राजधानी बनाया गया|
गोवा से पहले राजधानी कोचीन थी | अलबुकर्क ने व्यापारिक केन्द्रों के निर्देशन के लिए कोच्ची में प्रशासनिक ढांचा बनाया |
पूर्वी तट विस्तार - हुगली पुर्तगाली कंपनी का मुख्य व्यापारिक केंद्र था | mUgksaus caxky {ks= esa pVxkao ,oa lrxkao {ks= esa Hkh vius O;kikfjd dsUnz cuk;sA iqrZxkyh pVxkao dks egku cnajxkg dgrs Fks] D;ksafd blh ls os nf{k.k iwohZ ,f”k;k ds ns”kksa ds lkFk O;kikj okf.kT; dj ldrs FksA ये शहर म्यांमार की अन्तराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित है |
प्रमुख व्यापारिक केंद्र ( ट्रेडिंग पोस्ट ) थे - मसूलीपत्तनम, पुलिकट (तमिलनाडु+आंध्रप्रदेश), नेगापत्त्नम(तमिलनाडु –पांडिचेरीके दक्षिण में ) , मलक्का (मलेशिया )
सिलोन का उत्तरी भाग ( श्रीलंका ) भी पुर्तगालियों के प्रभाव में था |
- uwuk n dqUgk & 1531&1538
tksok n dSLVªks & 1538&1542
dqUgk ds le; xksok iqrZxkyh dEiuh@{ks= dh jkt/kkuh cuk tks igys dksfPp FkhA
- iqrZxkfy;ksa us Hkkjr dh vktknh ds i'pkr~ Hkh xksok vkSj neu nho o nknjk uxj gosyh dks Hkkjr dks lefiZr ugha fd;k FkkA ijUrq ckn esa 1954 esa varjkZ’Vªh; U;k;ky; ds ncko esa nknjk uxj gosyh Hkkjr dks izkIr gqvk tcfd neu o nho rFkk xksok 1961 esa Hkkjr dks izkIr gq;sA fdUrq bl le; xksok dsUnz “kkflr izns”k Fkk ftls 56osa lafo/kku la”kks/ku vf/kfu;e 1987 ds }kjk Hkkjr dk 25oka jkT; cuk;k x;kA
- पुर्तगलियों नें लगभग 450 वर्ष( 1503 से 1961) तक भारत में निवास किया | iqrZxkyh dEiuh dk izHkko Hkkjr ij fuEu :iksa esa gqvk –
आर्थिक प्रभाव – भारतीय मसालों का यूरोप में अलग बाजार बना जिससे भारतियों ने खूब लाभ उठाया | भारत में अनेक क्षेत्रों में निवेश हुआ जैसे –व्यापार , कृषि , औद्योगिक ढांचा आदि | iqrZxkfy;ksa us loZizFke Hkkjr esa rEckdw dh [ksrh dk izpyu fd;k जो प्रथम वाणिज्यिक फसल थी |
मुद्रा प्रभाव - iqrZxkyh O;kikj okf.kT; esa viuh eqnzk Øqtsjks ( सोना – चांदी से निर्मित ) dk iz;ksx djrs FksA इसमें कैथोलिक ईसाई धर्म को दिखाया गया तथा मुद्रा को धर्म प्रचार का माध्यम बनाया गया |
प्रिंटिंग प्रेस – कागज पर मुद्रण की जानकारी भारतीयों को पुर्तगलियों से ही मिली | गोवा में सर्वप्रथम प्रिंटिंग प्रेस 1556 में स्थापित की गयी | यहाँ पहली किताब “डूट्रीना क्रिस्टा” प्रकाशित हुई जो तमिल भाषा में थी , यह हिन्दू – मुस्लिम को संबोधित करती थी | दूसरी किताब “गोवा” प्रकाशित की गयी जो आयुर्वेद और चिकित्सा विज्ञान से सम्बंधित थी |
धार्मिक प्रभाव – पुर्तगाली हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन चाहते थे | दक्षिण भारत में कृष्ण को विट्ठलनाथ कहते हैं अतः उन्होंने कृष्ण की एक लोहे तथा एक लकड़ी की मूर्ति बनवाई , ईसाई की भी लोहे की मूर्ती बनवाई गयी | धार्मिक मामलों के लिए अलग से न्यायलय की स्थापना की गयी |
राजनैतिक प्रभाव – भारत में पहली बार गवर्नर का पद बनाया गया |
स्थापत्य कला - Hkkjr esa LFkkiR; dyk ds {ks= esa xkSfFkd “kSyh dk vkjaHk fd;k ftlesa jktdh;@vkoklh; Hkouksa dks fxjtk?kj ds :i esa cuk;k tkrk gSA dsjy ls ysdj xksok o neu nho rd ds lHkh fxjtk?kj iqrZxkfy;ksa }kjk gh cuk;s x;s gSaA
शिक्षा - iqrZxkyh fo}ku Qknj मोंसरेट ,oa ,Dokchok dks vdcj us vius njckj esa आमंत्रित fd;k rFkk vius iq= eqjkn एवं nkfu;ky dk शिक्षक fu;qDr fd;kA
पुर्तगाली कंपनी के पतन के कारण-
* स्पेन और पुर्तगाली सरकार के मध्य सम्बन्ध थे , 1580 में स्पेन ने पुर्तगाल को पराजित किया तथा पुर्तगाली कंपनी को अपने अधीन कर लिया |
* पुर्तगाली भारतीय धर्म का सम्मान नहीं करते थे अतः भारतियों के मन में उनके प्रति दुर्भावना ने स्थान ले लिया |
* अत्यधिक लाभ कमाने के कारण अन्य यूरोपीय कंपनियों का ध्यान भारत की ओर आकर्षित हुआ और युद्ध में कंपनी ने अपने कई महत्त्वपूर्ण केंद्र खो दिए | मसुलिपत्तनम और पुलीकट डच कंपनी के केंद्र बने| डच कंपनी से युद्ध में 1641 में मलक्का , 1651 में सीलोन हार गए ; EIC ने 1628 में हार्मुज़ , 1661 में बम्बई जीत लिया | गोवा, दादर नागर हवेली एवं दमन द्वीप इनके पास बचे |
* पुर्तगाली नौसेना मजबूत थी और वे बाद में समुद्री डकैत(pirate) बने |
पुर्तगाली और मुग़ल सम्राट –
शाहजहाँ ने 1632 में बंगाल के शासक कासिम खान को पुर्तगाली कंपनी को भागने के आदेश दिए क्योंकि उनसे समझौते का पालन नहीं किया था | बाद में शाहजहाँ से माफ़ी मांगने पर व्यापार की अनुमति दी गयी |
औरंगजेब के समय कंपनी ने डकैती के साथ साथ व्यापारियों से दुर्व्यवहार भी किया अततः सहिस्ता खान को पुर्तगालियो को भागने के लिए भेजा गया |इससे कंपनी का स्थायित्व कम हो गया |
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